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इन लव विथ बिलियनेयर ( कॉन्ट्रैक्ट मैरिज)( भाग -1)






( ये उपन्यास  पूर्णता काल्पनिक है और मेरे द्वारा ही सिर्फ लिखी जा रही है ..... कृपया कर इसकी कॉपी ना किया जाए , वरना टीम द्वारा आप पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है और आपको जैसी भी लगे  मुझे समीक्षा में बताएं 🙂... उम्मीद करूंगी आप सबको ये पसंद आयेगी ...शुक्रिया 


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विवेक बिस्तर पर ही लेटे- लेटे आंखे बंद करके मुस्कुरा रहा था ।
तभी धीरे से अवनी दरवाजा खोलती है और कहती   है .... ओह आज तो विवेक साहब सुबह- सुबह ही मुस्कुरा रहे है। क्या बात है जनाब?

विवेक -अरे दीदी , क्या आप भी ना सपना तोड़ दिया मेरा
जाओ मैं आपसे बात नहीं करूंगा 
अवनी- अरे अरे धीरे बोले देखो परी अभी सो रही है ।

तब विवेक बोलता है अच्छा जी हमे जगा दिया और परी को सोने दे रही है उसे भी उठाइए...ऐसा बोलते ही वो परी को उठाने लगता है ।परी उठ जा 

अवनी- अरे क्या कर रहे हो , याद नहीं है क्या कि परी को फीवर था  कल रात 
विवेक- दीदी  \\'i m really sorry\\' 

अवनी बोलती है ठीक है माफ कर दुंगी पर ...तुम्हे  बिस्तर से बाहर निकलना होगा और जाकर जल्दी तैयार होना पड़ेगा क्युकी मुझे काम पर भी जाना है। ठीक है ?

विवेक बोलता है ठीक है मेरी मां

अवनी बोलती है ठीक है जनाब मै जा रही पास्ता बनाने , अगर खाना है तो आ जाना  वरना मै अकेली पूरा ख़तम कर  दुंगी ,और परी को थोड़ा सोने दो 💤
ऐसा बोलते ही अवनी वहा से हंसते  हुए किचन में चली जाती है।

विवेक आंखे ऊपर करके बाथरूम में चला जाता है ,
और खुद से ही बाते करते हुए बोलता है मै कब बीमार होऊंगा , मूझे भी पूरे दिन सोना है।

तभी अवनी आवाज देती है आ रहे हो या नहीं ?
विवेक- अा रहा मेरी मां

कहानी आगे लिखने से पहले थोड़ी जानकारी अवनी और उसके परिवार के बारे में *

{ अवनी २४ साल की है ।और कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद से ही ,एक रेस्टोरेंट में नौकरी करने लगी ,उसके पास इतना भी समय नहीं था कि वो कुछ समय खुद को दे सके , उसका बस इतना लक्ष्य था कि अपने भाई को डॉक्टर बनाए , उसे पता था ये आसान नहीं पर वो कुछ भी करने के लिए तैयार थी....
किसी ने नहीं कभी सोचा होगा कि बचपन में इतनी हंसी खुशी रहने वाली लड़की आगे चलकर इतना परेशान होगी,बचपन से ही अवनी बहुत शरारती थी , किसी ना किसी को परेशान करती रहतीं थी ,पर घरवाले उससे दांटने के बजाए पलको पर रखते थे , घर में सबकी लाडली जो थी । पर कहते है ना खुशियां ज्यादा देर तक नहीं टिकती,कुछ हफ्तों बाद ही एक कार एक्सीडेंट में अवनी की मां का देहांत हो गया था , जिससे वो पूरी तरह से टूट गई और शांत हो गई ,अब घर वाले उसकी हंसी मजाक के लिए तरसते थे,

अवनी उस समय छोटी ही थी तो इसलिए घर वालो के कहने पर अवनी के पापा ने दूसरी शादी कर ली । ये बात अवनी को कभी पसंद नहीं आयी वो अपनी मां की जगह किसी और को नहीं देना चाहती थी।  कुछ ही दिनों में अवनी के दादा- दादी वहा से चले गए । अब अवनी पूरी तरह से अकेली हो गई थी , रेखा जी जो अवनी की दूसरी मां है, उनका व्यवहार अवनी के साथ अच्छा नहीं था।
जिसके कारण आए दिन अवनी के पापा ,अवनी से परेशान रहते थे , क्युकी रेखा जी रोज शिकायत करती थी अवनी की , 
उनका कहना था कि अवनी बहुत शरारती हो गई है इसलिए इसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाए , अवनी के पापा राजबीर कभी भी अवनी को दूर भेजना नहीं चाहते थे पर मजबूर थे।
अवनी को जब ये बात पता चला तो वो शाम में ही घर छोड़कर अपनी मौसी (शीला) के घर अा गई ,और यहां आकर सब बता दिया ।

ये बात जब राजबीर जी को पता चला तो उन्हें गुस्सा आया पर रेखा जी के सामने कुछ बोल ना पाए और अवनी को वहीं रहने दिया ,पर अवनी का पूरा खर्चा राजबीर जी उसकी मौसी के पास भेज देते थे।

वहा राजबीर जी की कंपनी बहुत अच्छे मुकाम पर थी, इसलिए वो अपनी कंपनी के काम मै इतना व्यस्त हो गए की कभी अवनी से मिलने नहीं आए,
अवनी कभी कभी  उन्हें याद कर के रो लेती थी ,
उसने सोच लिया था कि वो पूरी तरह से अपने पापा को भूल जाएगी ,  जो इंसान अपने काम की वजह से अपनी बेटी को भूल गया , उससे नफरत है मुझे,

अवनी अपनी मौसी के साथ खुश थी । उसे उनमें अपनी मां  की छवि नजर आती थी। घर पर सिर्फ वो और शीला जी ही रहते थे , क्युकी मौसा जी से उनका तलाक हो चुका था ।
और शीला जी का एक बेटा है , जो अमेरिका में जाकर पढ़ता है , इसलिए जब उनके पास अवनी आइ तो वो उससे पाकर बहुत खुश थी।

कुछ सालों बाद  शीला जी का देहांत हो गया तो अवनी एक बार फिर टूट गई थी , परन्तु इस बार उसने खुद को संभाल लिया था ,अब वो घर में अकेली रहती थी ,कॉलेज ज्वाइन करते ही उसने पार्ट टाइम जॉब करना शुरू कर दिया था और राजबीर जी के भेजे हुए रुपयों को उसने उसी दिन वापस कर दिया और बोल दिया था कि आगे से वो कुछ ना भेजे  क्युकी वो उन्हें नहीं जानती।
इस बात को सुनकर राजबीर जी फिर टूट गए परन्तु कुछ कहा नहीं , 

अवनी काफी खूबसूरत थी ,लंबे काले बाल ,भुरी आंखे,सब लोग उसे देखकर दंग हो गए थे पहले दिन ही कॉलेज में पर वो किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी
,उसकी एक दोस्त बनी जिसका नाम खुशी है , जैसा नाम था वैसा काम था , सबको खुश कर देती थी अपने उट पतांग जोक्स से 
अवनी का जब आखिरी साल था कॉलेज  मे  ,
एक  दिन जब वो घर जा रही थी तभी उस रास्ते में दो बच्चे मिले जो फूल बेच रहे थे ,उनमें से लड़की बोली दीदी ये फूल ले लो ना , बहुत भूख लगी है दो दिन से कुछ खाया नहीं है ,
ये सुनकर अवनी ने फूल ले लिया और रास्ते में लगे हुए ढाबे पर के गई और दुकान वाले को समोसे देने को कहा ,
समोसे खाने के बाद लड़की ने अवनी का हाथ चूम लिया और एक बड़ी सी स्माइल दी और बाय बोलकर चले गए 
उनके जाने के बाद दुकान वाले ने बताया था ये दोनों बच्चो के मां बाप की मौत हो गई है जो भूकंप आया था कुछ दिन पहले उसमे ,
इतना सुनकर वो घर अा गई और अपनी मां की फोटो देखने लगी और कुछ सोचकर सो गई ,अगली सुबह वो उंन बच्चो का इंतेज़ार कर रही थी रोड पर ही... उससे देखते ही वो लोग अवनी के पास अा गए और देखने लगे ,अब अवनी रोज मिलती थी उन लोगो के साथ  वो बहुत खुश थी ।
इसलिए एक दिन वो उन बच्चो को अपने घर लेकर आई।
वो लोग बहुत खुश थे,अवनी ने बोला कि अब से ये हमारा घर है और अवनी ने उन्हें नया नाम भी दिया परी और विवेक ।
तब से ये दोनों अवनी के साथ रह रहे है यही है अवनी का छोटा से परिवार जिससे वो बहुत प्यार करती है। पर एक दिन जब अवनी बच्चो के साथ पार्क में घूम रही थी तो अचानक से परी बेहोश हो गई , जिसे देखकर अवनी घबरा गई और डॉक्टर के पास ले गई जहां पता चला कि परी के दिल में छेद है और अगर जल्दी इलाज नहीं हुआ तो कुछ भी हो सकता है।

इस बात को सुनकर अवनी खुद को  रोने से रोक नहीं पाई ,वो अब और किसी को खोना नहीं चाहती थी।
इसलिए अब वो ज्यादा से ज्यादा जगहों पर नौकरी करती है, ताकि परी का इलाज हो सके ।
और डॉक्टर ने ये भी बोला था कि परी को एक शांत जगह पर ले जाओ, घर आकर परी ने मौसी का घर बेचने के बारे में सोचा , इस बारे में वो मौसी के बेटे आदि से बात कर चुकी थी , इसलिए उसने जल्दी ही घर बेचकर शहर से दूर एक शांत जगह पर घर ले लिया जहा हरियाली भी थी।
और जंगल भी ,
परी को ये जगह पसंद अाई इसलिए ,
इसलिए अवनी ने ये घर खरीद लिया और जल्द ही वहा रहने चली गई । }



अब अवनी जो विवेक को आवाज लगा रही है ब्रेकफास्ट के लिए ,गुस्से में रूम में आती है और बोलती है जनाब अगर तैयार हो गए है तो हम जा रहे रेस्टोरेंट और आप परी को थोड़ी देर में जगा देना और ब्रेकफास्ट भी कर लेना ।

विवेक - अरे दीदी रुको !
अवनी - क्या हुआ ? जल्दी बोलो मुझे लेट हो रहा है।

विवेक अवनी के पास आता है और गले लगते हुए बोलता है आइ लव यू सो मच दी , यू आर बेस्ट ❤️
अवनी -  बस बस रुलयोगे क्या  - आइ लव यू टू उल्लू 

( और ये बोलकर अवनी हंसते हुए बाहर अा जाती है और बस पकड़कर रेस्टोरेंट  पहुंचती है तो रेस्टोरेंट की ऐसी हालत देखकर दंग हो जाती है .....


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नोट - इस उपन्यास में हास्य व्यंग , इमोशनल सीन ,  ड्रामा, सस्पेंस थ्रिलर ,प्रेम ( रोमांस ) का मेल है इसलिए अगर ये जेनर पसंद है तो ही पढ़े और  उपन्यास बड़ी जायेगी तो अपनी इच्छा अनुसार ही पढ़े। 

शुक्रिया !!


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36 Comments

Arti khamborkar

19-Dec-2024 04:12 PM

v nice

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kashish

05-Mar-2023 02:40 PM

very nice

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Pratikhya Priyadarshini

16-Sep-2022 09:16 PM

Achha likha hai 💐

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